तीर्थ-दर्शन


पुनौरा धाम, सीतामढ़ी
  • धार्मिक/ऐतिहासिक महत्व: पुनौरा धाम को जानकी माता (मां सीता) की जन्मभूमि माना जाता है। रामायण के अनुसार, राजा जनक जब हल चलाते थे तब मां सीता कलश में प्रकट हुई थीं। इसी कारण यह स्थल मिथिला और श्रीराम–सीता की कथा से जुड़ा पवित्र स्थान है।

  • यात्रा का उपयुक्त समय: बिहार में आमतौर पर सर्दियाँ (अक्टूबर–फ़रवरी) तीर्थयात्रा के लिए सुखद मानी जाती हैं। नवरात्रि, रामनवमी जैसे पर्वों के समय यहां विशेष मेले व उत्सव होते हैं।

  • सीतामढ़ी से दूरी (लगभग): यह मंदिर सीतामढ़ी शहर के उत्तर-पश्चिम में करीब 3 किमी की दूरी पर स्थित है


जानकी मंदिर, सीतामढ़ी
  • धार्मिक/ऐतिहासिक महत्व: यह मंदिर भी माता सीता के साथ जुड़ा है। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार इसे लगभग 100 वर्ष पुराना माना जाता है और यहां मुख्य देवता राम–सीता–हनुमान हैं। स्थानीय मान्यता है कि यही सीता का जन्मस्थल है। मंदिर परिसर में जानकी कुंड नामक सरोवर है जहाँ राजा जनक द्वारा सीता को स्नान करवाने की कथा प्रसिद्ध है। नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन को आते हैं।

  • यात्रा का उपयुक्त समय: मंदिर में विशेषकर नवरात्रि (सितंबर-अक्टूबर) और रामनवमी (मार्च-अप्रैल) का समय बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त सर्दियों का मौसम भी तीर्थयात्रा के लिए सुहावना होता है।

  • सीतामढ़ी से दूरी (लगभग): यह मंदिर शहर के मध्य में स्थित है। सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन और बस अड्डे से लगभग 1.5–2 किमी है


खाटू श्याम, सीकर (राजस्थान)
  • धार्मिक/ऐतिहासिक महत्व: यह राजस्थान के सीकर जिले के खाटू कस्बे में स्थित खाटू श्याम मंदिर है, जो महाभारत के वीर योद्धा बरबरिका (खाटू-श्याम) को समर्पित है। कथा के अनुसार बरबरिका ने भगवान कृष्ण की आज्ञा से अपना सिर दान कर दिया था और उन्हें श्याम नाम से दिव्यता प्रदान की गई। भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में बरबरिका के सिर की पूजा होती है। खाटू श्याम का दर्शन शक्ति और बल की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है।

  • यात्रा का उपयुक्त समय: होली (फरवरी-मार्च) और दिवाली (अक्टूबर-नवम्बर) के दौरान यहां बड़े मेले लगते हैं। मानसून के बाद की शरद ऋतु (सितम्बर-अक्टूबर) व सर्दी के महीने यात्रा के लिए सर्वोत्तम हैं।

  • सीतामढ़ी से दूरी (लगभग): सड़क मार्ग से करीब 1200 किमी। (सीतामढ़ी से गुजरात होते हुए यात्रा करनी पड़ती है)


हलेश्वर स्थान, सीतामढ़ी
  • धार्मिक/ऐतिहासिक महत्व: हलेश्वर स्थान पर भगवान शिव का मंदिर है, जिसे राजा जनक (मिथिला के विदेह राजाओं) ने बनवाया था। पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जनक ने यज्ञ के लिए हल चलाया तो यहां शिवलिंग मिला था और उन्होंने इसका पूजन कर शिव मंदिर स्थापित किया (नाम “हेलेश्वरनाथ” रखा गया)। यह स्थान अत्यंत प्राचीन माना जाता है।

  • यात्रा का उपयुक्त समय: शिवरात्रि (फ़रवरी-मार्च) के शुभ अवसर पर विशेष उत्सव होता है। इसके अलावा शरद ऋतु (अक्टूबर–नवंबर) और सर्दियाँ यात्रा के लिए उत्तम होती हैं।

  • सीतामढ़ी से दूरी (लगभग): हलेश्वर स्थल Sitamarhi शहर से लगभग 3 किमी दूर है


पंथपाकर धाम, सीतामढ़ी
  • धार्मिक/ऐतिहासिक महत्व: यह मां सीता एवं श्रीराम से जुड़ा एक अन्य तीर्थस्थल है। स्थानीय मान्यता है कि यहीं राम और परशुराम के बीच संवाद हुआ था, इसलिए इसे पवित्र माना जाता है। यहां जानकी कुण्ड भी है, जहाँ सीता से संबंधित कथाएँ गूंथी हैं।

  • यात्रा का उपयुक्त समय: वार्षिक त्यौहारों (विशेषकर रामनवमी) के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंथपाकर धाम के दर्शन करते हैं। मौसम की दृष्टि से सरदी का मौसम (अक्टूबर से फरवरी) यात्रा के लिए सुविधाजनक रहता है।

  • सीतामढ़ी से दूरी (लगभग): यह स्थल सीतामढ़ी शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 8–14 किमी दूर है। (लगभग 10 किमी)